कर्ज के बोझ से दबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के अधिग्रहण की दौड़ में अब एक बड़ा मोड़ आया है. वेदांता ग्रुप ने ऐसा मास्टरप्लान पेश किया है, जिसने अडानी, डलमिया, जिंदल पावर और पीएनसी इंफ्राटेक जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया है. वेदांता ने 4,000 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि के साथ बाकी रकम को 5 से 6 साल की अवधि में किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव दिया है. इस पूरी पेशकश की नेट प्रेजेंट वैल्यू (NPV) करीब 12,505 करोड़ रुपये आंकी गई है, जो अन्य सभी दावेदारों से कहीं बेहतर है.
बोली में सबसे आगे वेदांता
NARCIL के नेतृत्व वाली लेनदारों की समिति (CoC) ने वेदांता को इस बोली प्रक्रिया में H1 बिडर घोषित कर दिया है. इस बोली में वेदांता ने सिर्फ रकम नहीं, बल्कि भुगतान की व्यावहारिक योजना भी पेश की है. कंपनी का प्रस्ताव है कि वह एनसीएलटी (NCLT) की मंजूरी के बाद पहले चरण में करीब ₹4,000 करोड़ का भुगतान करेगी, जिसमें लगभग एक साल का समय लग सकता है. इसके बाद शेष राशि को 5-6 साल में किस्तों के रूप में चुकाया जाएगा.
बिना लोन, बैलेंस शीट और कमाई से होगा भुगतान
वेदांता का यह अधिग्रहण प्लान खास इस मायने में भी है कि कंपनी इस सौदे के लिए किसी नए कर्ज का सहारा नहीं लेगी. पूरी राशि का इंतजाम वेदांता अपनी बैलेंस शीट और जेपी एसोसिएट्स की आंतरिक कमाई के जरिए करेगी. इससे वेदांता पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव नहीं पड़ेगा और अधिग्रहण के बाद कंपनी का संचालन भी सुगमता से हो सकेगा.
हालांकि, अभी अंतिम निर्णय बाकी है. CoC को अंतिम मतदान करना है, जिसमें 4 से 8 हफ्ते लग सकते हैं. मतदान के बाद योजना को NCLT से मंजूरी मिलने में 3-4 महीने और लग सकते हैं.
जेपी के कारोबार से वेदांता को होगा बड़ा फायदा
जयप्रकाश एसोसिएट्स के पास सीमेंट, पावर, रियल एस्टेट, होटल और सड़क निर्माण जैसे विविध कारोबार हैं. वेदांता के मौजूदा पोर्टफोलियो को देखते हुए ये संपत्तियां कंपनी के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती हैं. खासतौर पर पावर सेक्टर, जहां वेदांता पहले से सक्रिय है, जेपी के एसेट्स उसके ऑपरेशन्स को और मजबूत करेंगे. इसके अलावा, वेदांता को चूना पत्थर और कोयला खनन से भी रणनीतिक लाभ मिलने की संभावना है. जेपी के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को वेदांता साझेदारी या पुनर्विकास के जरिए और आगे बढ़ा सकती है.
55,000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज
जेपी एसोसिएट्स इस समय ₹55,371 करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूबी हुई है. ऐसे में यह डील कंपनी के लिए एक बड़ी राहत लेकर आ सकती है. वेदांता की पेशकश न सिर्फ लेनदारों को अधिकतम वसूली की संभावना देती है, बल्कि कंपनी के पुनर्गठन की भी एक व्यवहारिक योजना सामने रखती है.