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भारतीय वायुसेना ऐसे होगी मजबूत, 2040 तक 20 स्क्वॉड्रन अनमैन्ड स्टील्थ जेट्स का है लक्ष्य

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय वायुसेना आने वाले सालों में हवाई युद्ध की रणनीति को पूरी तरह बदलने की तैयारी कर रही है. डिफेंस सूत्रों के मुताबिक IAF ने 2040 तक कम से कम 20 स्क्वॉड्रन अनमैन्ड स्टील्थ जेट्स शामिल करने की योजना बनाई है, जिनकी संख्या 300 से 400 के बीच होगी. यह प्रोजेक्ट IAF के 42 स्क्वॉड्रन मैन्ड फाइटर्स के लक्ष्य से अलग है और इसे भविष्य के युद्धों में तकनीकी बढ़त हासिल करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.

वायुसेना का यह बेड़ा 1 टन से लेकर 13 टन तक के विमानों से बनेगा और तीन श्रेणियों में बंटा होगा.

1- सहयोगी लड़ाकू विमान (Collaborative Combat Aircraft) : छोटे आकार के ये विमान Su-30MKI, राफेल, तेजस Mk2 और AMCA जैसे मैन्ड जेट्स के साथ उड़ेंगे. इनका काम दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणाली को दबाना, जासूसी करना और हमला करना होगा. IAF का लक्ष्य ऐसे 10-12 स्क्वॉड्रन बनाने का है.

2- टैक्टिकल स्टील्थ फाइटर बॉम्बर (Tactical Stealth Fighter Bombers): 5-10 टन वजन वाले ये बॉम्बर गहरे इलाकों में दुश्मन के ठिकानों पर सटीक वार करेंगे. इनमें रुद्रम मिसाइल और BrahMos-II जैसे हथियार होंगे और इनका डिजाइन अमेरिकी XQ-58 Valkyrie से मिलता-जुलता होगा.

3- अनमैन्ड स्टील्थ लड़ाकू विमान (Unmanned Stealth Fighters): 10-13 टन वजन वाले ये सबसे बड़े और ताकतवर विमान होंगे. DRDO का Ghatak UCAV इसका उदाहरण है. इसमें 4 टन पेलोड, सुपरक्रूज़ क्षमता और एआई सिस्टम होगा, जिससे यह स्वतंत्र मिशन कर सकेगा और अन्य विमानों की अगुवाई भी कर पाएगा.

यह मिक्स बेड़ा सीमा पर छोटे संघर्षों से लेकर दो मोर्चों पर बड़े युद्ध तक हर स्थिति में भारत को लचीलापन देगा. हालांकि, यह प्रोजेक्ट DRDO और HAL की समय पर डिलीवरी पर निर्भर करेगा. DRDO को 2028 तक प्रोटोटाइप देना होगा और HAL को बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता दिखानी होगी. विदेशी सहयोग (अमेरिका से एल्गोरिद्म और रूस से स्टील्थ तकनीक) से इस प्रोजेक्ट की रफ्तार बढ़ सकती है, लेकिन इससे निर्भरता का खतरा भी रहेगा. इसलिए भारत स्वदेशी तकनीक को ज्यादा तवज्जो दे रहा है.

चीन की तैयारी

भारत के इस कदम की तुलना चीन की योजनाओं से भी की जा रही है. चीन का प्रमुख अनमैन्ड स्टील्थ UCAV GJ-11 शार्प स्वॉर्ड है, जो फ्लाइंग-विंग डिजाइन पर आधारित है और स्ट्राइक और जासूसी मिशनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. सूत्रों के मुताबिक चीन ने कम से कम एक स्क्वॉड्रन इसकी तैनाती पूर्वी थिएटर कमांड के लुअन एयरबेस पर की है. इसके अलावा, चीन ने WZ-8 सुपरसोनिक रिकॉनिसेंस ड्रोन का भी एक स्क्वॉड्रन खड़ा किया है जो मैक 3+ की स्पीड से उड़ान भर सकता है और H-6 बॉम्बर से लॉन्च होता है.

भारत का 2040 तक का लक्ष्य

GJ-11 शार्प स्वॉर्ड स्क्वॉड्रन की संख्या 1 है, ये स्ट्राइक और ISR मिशन के लिए है. WZ-8 स्क्वॉड्रन की संख्या 1 है, ये स्ट्रैटेजिक रिकॉनिसेंस मिशन के लिए है .सूत्रों के मुताबिक चीन के पास कम से कम 1-2 स्क्वॉड्रन अनमैन्ड स्टील्थ जेट्स हैं और 2030 तक यह संख्या बढ़ने की संभावना है. भारत का 2040 तक 20 स्क्वॉड्रन अनमैन्ड स्टील्थ जेट्स का लक्ष्य न केवल भविष्य की हवाई लड़ाई की तस्वीर बदलेगा, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों के सामने भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से और मजबूत बनाएगा.